रॉयटर्स की खबर के अनुसार, ईरानी रेवोल्यूशनरी गार्डस ने जासूसी के आरोप में कई विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है. जिसमें एक ब्रिटिश उपराजनयिक भी शामिल है. जो तेहरान में दूसरा सबसे प्रमुख ब्रिटिश दूत है. ईरानी सुरक्षा एजेंसी का कहना है कि गिरफ्तार लोग एक प्रतिबन्धित क्षेत्र से मिट्टी के नमूने ले रहे थे.
गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए ब्रिटेन ने रिपोर्ट को पूरी तरह गलत बताया है. और कहा कि ईरान ने ये नहीं बताया कि उसके राजनयिक को कब गिरफ्तार किया है. और कब तक गिरफ्तार करके रखेंगे.
ईरान के सरकारी न्यूज चैनल ने कहा कि ये सभी जासूस ईरानी सेना द्वारा नियंत्रित सरकारी रेगिस्तान से मिट्टी के नमूने चुरा रहे थे. जहाँ ईरानी सेना मिसाइल टेस्ट करने का अभ्यास कर रही थी.
टीवी चैनल ने पूरे मामले में एक वीडियो फुटेज भी जारी किया है. जिसमें ब्रिटिश उपराजनयिक जाइल्स व्हिटेकर, प्रतिबन्धित क्षेत्र में अपने परिवार के साथ दिखाई दे रहे हैं. साथ ही विडियो में वे जमीन से मिट्टी उठाते हुए भी दिखाई देते हैं. स्थानीय मीडिया ने बताया कि इस जगह पर सेना के अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं है.
घटना के सामने आने के बाद व्हिटेकर ने माफी माँगी है. जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया है.
तो वहीं ब्रिटिश विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने अपने राजनयिक की गिरफ्तारी की खबर को झूठा बताया है. अमेरिका में ब्रिटेन के प्रवक्ता सैमुएल हीथ ने ट्वीट करके बताया कि व्हिटेकर को ईरान में सभी पदों से पदमुक्त कर दिया गया है.
स्थानीय मीडिया ने पकड़े गए लोगों में एक की पहचान ऑस्ट्रियाई नागरिक के रूप में की है. जो ईरान में ऑस्ट्रियाई सांस्कृतिक विभाग की अधिकारी के पति हैं. लेकिन ऑस्ट्रिया की तरफ से इस मामले में अबतक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
मीडिया द्वारा जारी तस्वारों में तीसरे व्यक्ति की पहचान प्रोफेसर मसीज वाल्जाक के रूप में हुई है. जो पोलैण्ड की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाता है. अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारते हुए उसने कहा कि वह ईरान सिर्फ घूमने आया था.
टीवी रिपोर्ट के अनुसार वाल्ज़ाक और उनके तीन अन्य सहयोगी एक वैज्ञानिक कार्यक्रम में भाग लेने ईरान आए थे. लेकिन इस कार्यक्रम में भाग लेने के बाद वे सभी एक दूसरी जगह गए. जहाँ उन्होंने मिट्टी के नमूने चुराए. साथ ही उनके द्वारा चुराए गए नमूने देश के दक्षिण में स्थित करमान प्रांत में हुए एक मिसाइल परीक्षण के साथ मेल खाते हैं.
ईरान आर्मी के खुफिया विभाग ने हाल के वर्षों में कई विदेशी नागरिकों को पकड़ा है. जिसमें दर्जनों नागरिक दोहरी नागरिकता वाले हैं. गिरफ्तार किए गए ज्यादातर लोगों पर जासूसी और सुरक्षा संबंधी आरोप लगाए गए हैं.
दुनिया के तमाम संगठनों ने ईरान की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं. कि वह नागरिकों पर झूठे आरोप लगाकर और उन्हें गिरफ्तार करके, दुनिया के तमाम देशों से चल रही जंग में बढ़त बनाना चाहता है. जबकि ईरान ने इन गिरफ्तारियों को वैध बताया है. और कहा कि कोई भी गिरफ्तारी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं की गई है.
Write a comment ...