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  • जापान में शिंजो आबे से पहले भी कई राजनेताओं की हो चुकी है हत्याजापान में शिंजो आबे से पहले भी कई राजनेताओं की हो चुकी है हत्या

    जापान में शिंजो आबे से पहले भी कई राजनेताओं की हो चुकी है हत्या

    जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की कल दोपहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्या के समय आबे जापान के नारा शहर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे. हत्या करने वाले शख्स ने उन्हें पीछे से दो गोलियाँ मारीं. जिसके बाद आबे को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया. जहाँ इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. जापान जैसे सुरक्षित और शांत देश में इस तरह दिनदहाड़े एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या देश की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा करता है.

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  • वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम जो बनी है 15 कैरेबियाई देशों से मिलकर वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम जो बनी है 15 कैरेबियाई देशों से मिलकर 

    वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम जो बनी है 15 कैरेबियाई देशों से मिलकर 

    बचपन में भारत औऱ वेस्टइंटडीज के बीच क्रिकेट मैच देखते वेस्टइंडीज टीम के लोगो पर हमेशा नजर जाती थी. समुद्र के किनारे लगा नारियल का पेड़, एक तरफ जमीन में गड़े विकेट, और ऊपर चमकता सूरज. विकेट देखकर संदेह होता था कि यह नेशनल फ्लैग है या क्रिकेट फ्लैग ?

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  • ब्रिटेन के एक राजनयिक समेत कई विदेशी, जासूसी के आरोप में गिरफ्तार :  ईरानी टीवीब्रिटेन के एक राजनयिक समेत कई विदेशी, जासूसी के आरोप में गिरफ्तार :  ईरानी टीवी

    ब्रिटेन के एक राजनयिक समेत कई विदेशी, जासूसी के आरोप में गिरफ्तार : ईरानी टीवी

    रॉयटर्स की खबर के अनुसार, ईरानी रेवोल्यूशनरी गार्डस ने जासूसी के आरोप में कई विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है. जिसमें एक ब्रिटिश उपराजनयिक भी शामिल है. जो तेहरान में दूसरा सबसे प्रमुख ब्रिटिश दूत है. ईरानी सुरक्षा एजेंसी का कहना है कि गिरफ्तार लोग एक प्रतिबन्धित क्षेत्र से मिट्टी के नमूने ले रहे थे.

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  • कोरोना की लहरों में सरकार की स्थिति कोरोना की लहरों में सरकार की स्थिति

    कोरोना की लहरों में सरकार की स्थिति

    "मेरे अस्पताल में 110 मरीज भर्ती हैं. वे सब यहाँ मेरे भरोसे पर आए थे लेकिन अब वे मर रहे हैं क्योंकि हमारे पास उनकी जान बचाने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं है". आंसू पोंछते हुए अपना दर्द बयान करते ये सूरत के एक डॉक्टर की कहानी है. कुछ ऐसी ही कहानी भारत में कोरोना  की भयावह दूसरी लहर के दौरान लगभग हर दूसरे-तीसरे अस्पताल की थी. कहीं बेड नहीं तो कहीं ऑक्सीजन.   देश के हर राज्य हर जिले की कहानी बिल्कुल समान थी बस किरदार अलग हो जाते थे. देश में कोरोना की दूसरी लहर में मरने वालों का आधिकारिक आँकड़ा 5 लाख से अधिक है लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह आंकड़ा 30-40 लाख तक बताया गया है.  देश में सरकार तो जैसे लोगों के बीच से नदारद थी. लोग अपने स्तर पर अपनों का जीवन बचाने में जुटे थे.   कोरोना की पहली लहर में सरकार की तैयारियों की तारीफ यूएन सहित दुनिया के बड़े-बड़े देशों ने की थी. 20 जनवरी 2020 को केरल में कोरोना का पहला मामला दर्ज होते ही भारत सरकार तुरन्त ही अलर्ट मोड में आ गयी. सरकार ने शुरुआती स्तर पर देशभर में जल्द से जल्द कोविड-19 वायरस की पहचान करने वाली लैब और दूसरे जरूरी उपकरणों का प्रबंध समय रहते कर लिया था. शुरुआत में पूरे देश में जहां सिर्फ 15 प्रयोगशालाएं थीं. वे महज कुछ ही दिनों में 150 से अधिक हो गईं. बाद में इन प्रयोगशालाओं को जिलेवार स्तर पर भी खोला गया.   सरकार ने महामारी एक्ट के तहत ज्यादातर शक्तियाँ अपने हाथों में लेते हुए 25 अप्रैल 2020 को देशव्यापी संपूर्ण लाॅकडाउन लगा दिया. देश में समस्त गतिविधियां रोक दी गईं, लोगों के आने जाने पर पाबंदी लगा दी गयी. पहले यह लाॅकडाउन केवल 14 दिनों के लिए लगाया गया था. जो बढ़ाते-बढ़ाते 3 महीने से भी अधिक समय तक लगा रहा.    लाॅकडाउन के एक महीने बाद ही देश में मजदूरों का बड़ी संख्या में प्रवास शुरू हो गया. ट्रेन और दूसरे यातायात बंद होने के कारण लोगों ने कई सौ किलोमीटर तक का सफर पैदल ही पूरा किया. हालांकि प्रवास के कुछ दिनों बाद जब सरकार पर उँगलियाँ उठी तो सरकार ने लाॅकडाउन में कुछ राहत भी दी. जिसके बाद मजदूरों और प्रवासियों के लिए ट्रेन और दूसरे यातायात शुरू किए. साथ ही साथ देश में जरूरी दूसरी सेवाएं भी बहाल हुईं. जिससे तीन महीने से पटरी से उतरी लोगों की जिंदगी थोड़ी बहुत आसान हुई.   हालांकि जुलाई में खुलना शुरू हुआ लाॅकडाउन पूरी तरह लगभग अक्टूबर-नवंबर तक खुला. लोगों की जिंदगी कुछ हद तक पटरी पर लौट ही रही थी.   तभी जनवरी-फरवरी से कोरोना की दूसरी खौफनाक लहर के आने के संकेत मिलने लगे थे. सरकारी मशीनरी ने लोगों से जुड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरूस्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं ली. पहली लहर के खतरे को टालने का जश्न अब तक जारी था. मार्च आते-आते कोरोना के नवीनतम वेरिएंट डेल्टा और डेल्टा प्लस अपनी तबाही शुरू कर चुके थे. इस दौरान सरकार ने पूर्ण लाॅकडाउन ना लगाकर आंशिक लाॅकडाउन लगाया. मार्च से मई-जून तक चली इस लहर में हर ओर सिर्फ तबाही और मौत का खौफनाक मंजर था. लाशों को शव दाह गृहों में जलाने की जगह नहीं थी. कोविड की दूसरी लहर के लहर के दौरान सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 5 लाख मौतें हुईं, लेकिन कई मीडिया स्रोतों के अनुसार असल आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा लगभग 30-40 लाख है. इस दौरान देश में संक्रमण दर 40-50 फीसद तक पहुंच गयी थी. देश के सभी छोटे बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो गयी थी. लोग अपनों को बचाने के लिए खुद से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदर अस्पतालों में पहुंचाते थे. सरकार ने अपनी तरफ से कुछ मदद करने की कोशिश की लेकिन वह लोगों की जान बचाने के लिए नाकाफी थी. दूसरी लहर में हुई मौतों की कहानी गंगा और दूसरी नदियों में बहती लोगों की लाशें स्पष्ट बताती हैं.   दूसरी लहर की भयावहता के बाद तीसरी लहर का अनुमान लगते ही सरकार हरकत में आ गयी. पहले से ही जारी बचाव की तैयारियों को और तेज कर दिया गया. देश में कोविड टीकाकरण को भी तेज कर दिया गया. जनवरी- फरवरी में आयी कोरोना तीसरी लहर का देश में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा. सरकार की तैयारियों आम लोगों की सावधानियों के कारण यह लहर आसानी से गुजर गयी.  

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  • जातीय संघर्ष में उलझा बच्चों का भविष्य जातीय संघर्ष में उलझा बच्चों का भविष्य 

    जातीय संघर्ष में उलझा बच्चों का भविष्य 

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  • अंबेडकर से अपरिचित देश की बड़ी आबादी अंबेडकर से अपरिचित देश की बड़ी आबादी

    अंबेडकर से अपरिचित देश की बड़ी आबादी

    अम्बेडकर का नाम सुनते ही समाज के कई वर्ग अपने अपने नफा नुकसान के हिसाब से उनके बारे में अपनी धारणा तय कर लेते हैं. कोई उन्हें दलितों का मसीहा कहता है. तो कोई वर्ग संविधान की प्रारूप समिती के अध्यक्ष तक सीमित कर देता है. तो वहीं एक अन्य वर्ग उन्हें संविधान में आरक्षण की देन तक के लिए ही जानता है। समाज के इन खास वर्गों ने अम्बेडकर की पहचान को एक दायरे में समेट दिया है। जो उनकी असल पहचान का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है।

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  • बजट 2022-23 में रेलवे को मिलीं 400 नईं वन्दे भारत ट्रेन और 100 नये कार्गो टर्मिनल्स बजट 2022-23 में रेलवे को मिलीं 400 नईं वन्दे भारत ट्रेन और 100 नये कार्गो टर्मिनल्स

    बजट 2022-23 में रेलवे को मिलीं 400 नईं वन्दे भारत ट्रेन और 100 नये कार्गो टर्मिनल्स

    वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी कोलोकसभा में वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया। जिसमें कोरोना काल से सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय रेलवे के लिए कई बड़ी घोषणाएं की गईं। घोषणा के अनुसार अगले तीन सालों में 400 नई वन्दे भारत ट्रेन शुरू होंगी, इसके अलावा 100 कार्गो टर्मिनल्स को विकसित करने और 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' योजना शुरू करने पर भी रेलवे का जोर रहेगा। वित्तमंत्री ने रेलवे को आगामी वित्त वर्ष के लिए 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए।

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  • नेता नगरी के भंवर में फंसती सुभाष बाबू की विरासतनेता नगरी के भंवर में फंसती सुभाष बाबू की विरासत

    नेता नगरी के भंवर में फंसती सुभाष बाबू की विरासत

    स्कूल के दिनों में जब भी हमारे आदर्शों के बारे में अध्यापक पूछते, तो नेता जी सुभाषचंद्र बोस का नाम अवश्य ही जेहन में आ जाता था। और आना लाजिमी भी है, क्योंकि सुभाषचंद्र बोस भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। हम सभी विचारधाराओं से दूर स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बड़े गौर से पढ़ते। तब हम नहीं जानते थे कि कुछ ऐसी भी विचारधारा होती होगी जो महापुरुषों को भी बाँट लेती है। जब विचारधारा का ज्ञान आया तो देखा कि से सरदार पटेल, भगत सिंह, जवाहरलाल नेहरू और अंबेडकर आदि सभी की तरह ही नेता जी सुभाष चंद्र बोस भी नेताओं और उनकी नेता गिरी के देर में फंसे चुके हैं। वामपंथ, दक्षिणपंथ और दूसरी सभी विचारधाराओं के लोग उन्हें अपनी सहूलियत और वोट बैंक के हिसाब से अपने-अपने पाले में खींचने की कोशिश में लगे रहते हैं। किसी ने उनके त्याग, देशभक्ति और शिक्षाओं को पढ़ने या समझने की कोशिश भी नहीं की। जिसमें नेताओं के साथ साथ आम लोगों की भी अच्छी-खासी तादाद है।

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  • माननीय का आगमन माननीय का आगमन

    माननीय का आगमन

    किसी छोटे शहर का स्वरूप रातों रात किस तरह बदल जाता है। जब वहां कोई बड़े और सत्ताधारी नेता का आगमन होता है। उसी बदलाव को मैंने एक व्यंग्य में बताने की कोशिश की है। लेख थोड़ा बड़ा है इसलिए ठहर के पढ़ना पड़ेगा। लेकिन आपको यकीन दिलाता हूँ कि आपका वह समय व्यर्थ नहीं जाएगा।

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  • खेल प्रेमियों के लिए कभी खुशी कभी ग़म वाला रहा 2021 का वर्ष खेल प्रेमियों के लिए कभी खुशी कभी ग़म वाला रहा 2021 का वर्ष

    खेल प्रेमियों के लिए कभी खुशी कभी ग़म वाला रहा 2021 का वर्ष

    2020 की कोरोना महामारी के बाद 2021 खेलों की दृष्टि से एक बेहतरीन साल रहा है, और सभी खिलाड़ी लगभग एक साल बाद दोबारा मैदान में उतरे। इस वर्ष ओलम्पिक, टी-20 क्रिकेट विश्वकप, ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जैसे कई बड़े खेल आयोजन भी हुये । कई खेलों में भारत ने प्रतिभाग किया और अच्छा प्रदर्शन किया तो कुछ में परिणाम उम्मीद के विपरीत रहा।

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  • कप्तानी में बल्लेबाजों की धाक, गेंदबाज अंतिम 11 तक सीमित कप्तानी में बल्लेबाजों की धाक, गेंदबाज अंतिम 11 तक सीमित

    कप्तानी में बल्लेबाजों की धाक, गेंदबाज अंतिम 11 तक सीमित

    क्रिकेट के इतिहास में देखा गया है कि कप्तानी में बल्लेबाजों का हमेशा ही दबदबा रहा है। जबकि गेंदबाजों को कई वजहों के कारण टीम के नेतृत्व में तरजीह नहीं दी गई है।

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  • दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित त्रासदी

    दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित त्रासदी

    2 दिसंबर 1984 की रात तक भोपाल में सब सामान्य था। लोग आराम से खाना खाकर सोने की तैयारी में थे, तो कुछ सो भी चुके थे। लेकिन तभी रात 12 बजे उनको अचानक खांसी, आँखों में तेज जलन, शरीर में ऐंठन और मुँह से झाग गिरना शुरू हो गया। उनमें जो सो रहे थे उनकी साँस अचानक बंद होने लगी थी। पूरे शहर में एकदम से अफरा-तफरी और भाग-दौड़ मचने लगी थी। लोग बिना कुछ सोचे-समझे बस हमीदिया और जेपी हॉस्पिटल की ओर भागे जा रहे थे। हमीदिया अस्पताल में रात 2 बजे तक लगभग 4 हजार लोग पहुँच चुके थे, कुछ ही देर में अस्पतालों में बेड पूरे भर चुके थे । हालात इतने नाजुक थे कि कुछ ही घण्टों में 3 हजार से अधिक लोगों ने दम तोड़ दिया था ।

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  • भारतीय संविधान की सुन्दरता भारतीय संविधान की सुन्दरता

    भारतीय संविधान की सुन्दरता

    हम सब अपने विद्यालय के दिनों से ही सुनते आ रहे हैं कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे विस्तृत और सुन्दर संविधान है. हमने विस्तृत शब्द पर हमेशा ही ध्यान दिया है इसलिए इसका जवाब भी लगभग हम सभी के पास है. लेकिन क्या हम सबने सुन्दरता शब्द पर भी उतना ही ध्यान दिया है? शायद नहीं, कुछ लोगों ने शायद ध्यान दिया भी होगा और उनमें से कुछ लोगों ने इसका उत्तर भी जानने की कोशिश की होगी. हमारी इस कोशिश का आखिर परिणाम क्या निकला? क्या सिर्फ इतना ही कि इसमें हर वर्ग को समाहित किया गया है? या सिर्फ इतना ही कि यह बहुत लचीला है? इसके अतिरिक्त भी हम में से कई लोगों के और भी सवाल और ज़वाब अवश्य होंगे.

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  • दीपावली और ढांकदीपावली और ढांक

    दीपावली और ढांक

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